नई दिल्ली। विशेषज्ञों की मानें तो मौसम बदलने का इंतजार कर रहे लोगों को इसके लिए होली तक इंतजार करना पड़ सकता है तथा पूरे मार्च सर्दी से राहत मिलना मुश्किल ही है। आम तौर पर माना जाता है कि मकर संक्रांति के बाद ठंड का असर कम होने लगता है, लेकिन इस वर्ष ठंड का कहर उसके बाद भी न सिर्फ जारी है बल्कि रोज तापमान में लगातार गिरावट आ रही है।
मौसम विज्ञानी कड़ाके की ठंड के लिए ला-नीना जिम्मेदार बता रहे हैं। स्पेनिश भाषा में ला-नीना का अर्थ होता है लड़की। लेकिन मौसम विज्ञान के परिपेक्ष्य में जब दक्षिण प्रशांत महासागर में समुद्र का तापमान तीन से पांच डिग्री तक घट जाता है तो इसे ला-नीना इफेक्ट कहते हैं। और ला-नीना का ही कमाल है कि इस वर्ष जनवरी के तीसरे हफ्ते में भी पूरा उत्तार भारत कड़ाके की ठंड से कांप रहा है। कश्मीर और हिमाचल में बर्फबारी हो रही है, जिसमें निकट भविष्य में कमी आने के आसार नहीं हैं। दक्षिण भारत में भी ठंड ने 120 वर्ष का रिकार्ड तोड़ दिया है। महाबलेश्वर की झील जम गई है तथा आंध्र प्रदेश में ठंड से कुछ लोगों के मरने की भी सूचना है।कड़ाके की सर्दी का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। लोगों को भीषण कोहरे का सामना करना पड़ सकता है ।

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